हर दिन पीठ का दर्द होना कोई सामान्य बात नहीं है, पीठ दर्द को चिकित्सा पेशेवरों द्वारा कई तरीकों से वर्गीकृत किया गया है। आप अपने पीठ दर्द का वर्णन उसके स्थान के आधार पर कर सकते हैं: ऊपरी, मध्य या निचली पीठ का दर्द जो बाईं ओर, केंद्र या दाईं ओर होता है। पीठ दर्द की शुरुआत मांसपेशियों के दर्द से लेकर जैसे गोली लगी हो वैसे दर्द तक, जलन जैसे या छुरा घोंपने जैसी अनुभूति अनुभव करने जैसे होती है। इसके साथ दर्द लात में भी चला जाता है जिससे झुकने, मुड़ने, कुछ उठाने, ज़्यादा देर खड़ने या तुरने में दिकत भी शुरू हो जाती है।
रीढ़ की हड्डी, जिसे बैकबोन या स्पाइनल कॉलम भी कहा जाता है, शरीर के सबसे मजबूत हिस्सों में से एक है और यह हमें काफी लचीलापन और ताकत प्रदान करती है।यह 24 हड्डियों से बनी है, जिन्हें कशेरुक कहा जाता है, एक दूसरे के ऊपर बैठी होती है। इन हड्डियों के बीच में डिस्क होती है और इनके चारों ओर सहारे के लिए बहुत सारे मजबूत स्नायुबंधन और मांसपेशियां होती हैं। पीठ के निचले भाग में टेलबोन में भी हड्डियां होती हैं, जो आपस में जुड़ी होती हैं और बीच में कोई डिस्क नहीं होती है।
रीढ़ की हड्डी के दोनों तरफ, ऊपर से नीचे तक, कई छोटे-छोटे जोड़ होते हैं जिन्हें फेसेट जोड़ कहा जाता है। रीढ़ की हड्डी कशेरुकाओं के अंदर से गुजरती है, जो इसकी रक्षा करती है। रीढ़ की हड्डी खोपड़ी के आधार के माध्यम से मस्तिष्क से और रीढ़ की हड्डियों के बीच रिक्त स्थान से गुजरने वाली नसों द्वारा शरीर के बाकी हिस्सों से जुड़ती है। इन तंत्रिकाओं को तंत्रिका जड़ें भी कहा जाता है।जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती है, आपकी रीढ़ की हड्डी की संरचनाएं, जैसे जोड़, डिस्क और लिगामेंट्स भी बूढ़े हो जाते हैं। संरचनाएं मजबूत रहती हैं लेकिन जैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती है आपकी पीठ का सख्त होना आम बात है।
मांसपेशियों में दर्द कसरत के बाद होने वाले दर्द जैसा महसूस होगा, जबकि डिस्क दर्द दुर्बल करने वाला और झुनझुनी जैसा महसूस होगा।
सामान्य पीठ का दर्द होने के कारण:
- खराब मुद्रा: घर या ऑफिस में काम करते समय, काम पर इतना ध्यान लग जाता है के आप अपना बैठना का ढंग ही भूल जाते है और कुछ समय के बाद उठकर अपने शरीर को खींचना भी भूल जाते है। मांसपेशियों में थकान और तनाव जो अंततः खराब मुद्रा का कारण बनता है। खराब मुद्रा की जटिलताओं में पीठ दर्द, रीढ़ की हड्डी में शिथिलता, जोड़ों का खराब होना, गोल कंधे और पेट का फूलना शामिल हैं।
- कम कसरत जिसके परिणामस्वरूप रीढ़ की हड्डी में अकड़न और मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं। बिलकुल भी नहीं या ज्यादा कसरत ह्रदय रोग का जोखिम कारक बन सकते है।
- मांसपेशियों के खिंचाव या मोच आमतौर पर पीठ के निचले हिस्से और जांघ के पीछे की मांसपेशियों (हैमस्ट्रिंग) में होता है।
- अधिक शरीर का वजन पीठ पर अतिरिक्त दबाव डालता है।
- अनुचित उठान, कुछ भार उठाते समय लातों पर वजन न डालकर पीठ का प्रयोग करके भी दर्द की संभावना हो सकती है।
- मनोवैज्ञानिक स्थितियों अवसाद और चिंता से ग्रस्त लोगों में पीठ दर्द का खतरा अधिक होता है। तनाव से मांसपेशियों में तनाव हो सकता है, जो पीठ दर्द में योगदान दे सकता है।
- धूम्रपान करने वालों में पीठ दर्द की दर बढ़ जाती है। ऐसा इसलिए हो सकता है क्योंकि धूम्रपान के कारण खांसी होती है, जिससे हर्नियेटेड डिस्क हो सकती है। धूम्रपान से रीढ़ की हड्डी में रक्त का प्रवाह भी कम हो सकता है और ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा बढ़ सकता है।
- उम्र पीठ दर्द आम तोर पर उम्र पर भी निर्भर करता है, जैसे उम्र बढ़ती है वैसे ही शरीर में कैल्शियम कम होने लगता है जो 30 या 40 के करीब शुरू हो जाता है।
पीठ दर्द के इलाज के लिए गर्म या ठंडा सेक लगाना, एक्यूपंक्चर और दवाएं शामिल हैं।
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